कुलदेवी,योगिनी सहित ग्यारह देवीयां हो जायेंगी जाग्रत इस एक मंत्र से।
अर्गला का प्रथम मंत्र :- जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।। भगवती की इस मंत्र की महिमा अनंत है। इनका वर्णन करना सुर्य भगवान को दीपक दिखाने के समान हैं। इस एक मंत्र में इतनी क्षमता है की इसके द्धारा भगवती के हर स्वरूप को प्रसन्न किया जा सकता है। इससे किसी भी शक्ति के कोप को शांत किया जा सकता है। विशेष द्रव्यों की आहुति इस मंत्र से देकर शमशान से किये गये मारण प्रयोग तक को शांत,स्तंभित, नष्ट किया जा सकता है। हवनात्मक अनेक प्रयोग हैं। लक्ष्मी प्राप्ति हेतु , गृह रक्षण हेतु तथा भगवती के योगिनियों को प्रसन्न करने हेतु भी इस मंत्र का जाप हवन तथा इससे तर्पण इत्यादि किया जा सकता है। जहां जहां इस मंत्र का नित्य जाप होता है वहां भगवती के योगिनियों का पहरा रहता है। अतः प्रत्येक गृहस्थ को यह मंत्र अनेकों प्रयास से अपने तथा परिवार के उन्नति हेतु सिद्ध करना चाहिये तथा इस महादुर्गा मंत्र की कृपा प्रसाद से जीवन को निष्कंटक बनाईये। नित्य भगवती के शरणागत रहकर उनके इस दिव्य मंत्र के द्वारा सेवा करनी चाहिए।
जय जय मां विंध्यवासिनी