Description
भगवती पार्वती का एक दिव्य स्वतंत्र स्वरुप जो भगवान महादेव के कृपा से यक्षराज कुबेर जी ने सिद्ध की थी वह है भगवती धनदा। लक्ष्मी स्वरुप केवल भगवान श्री हरि के संग की ही नहीं हैं । यहां तंत्र का गुढ़तम रहस्य है। अब महागणपति की शक्ति सिद्ध लक्ष्मी अथवा श्री स्वर्णाकर्षण भैरव की अघोर लक्ष्मी आदि स्वरुप स्वतंत्र रुप से उनकी ही शक्ति हैं। भगवान स्वर्णाकर्षण भैरव के महाकुंभ अनुष्ठान अंतर्गत होने वाले महासपर्या में धनदा लक्ष्मी जो उनकी प्रमुख अंग विद्या हैं, इनका कवच निर्मित होगा। धन हीनता, दरिद्रता,ऋण दोष आदि संबंधित समस्त भौतिक बाधाओं के शमन हेतु इस कवच को धारित करना चाहिए तथा नित्य लक्ष्मी माला मंत्र सहित धनदा स्तोत्र का 11-11 पाठ करना चाहिए। इससे घोर दरिद्रता से युक्त व्यक्ति भी उससे मुक्त हो जाता है।
महाकुंभ समापन के उपरांत 26 फरवरी के पश्चात अगले 15-30 दिनों में यह कवच आपको प्राप्त हो जायेगा।
ध्यान दें – कवच यंत्र का संलग्न छायाचित्र केवल प्रदर्शन हेतु है। कवच के चांदी निर्मित खोल का डिजाइन दिखाये गये चित्र से भिन्न हो सकता है।
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