Grihasth Tantra

श्री अपराजिता कवच

7,100.00

यह सुप्रसिद्ध कवच भगवती निकुंबला के स्वतंत्र अंग विद्या स्वरुप का है, भगवती के इस कवच की महत्ता जगत प्रसिद्ध है। इस कवच के धारणकर्ता की रक्षा व विजय हेतु भगवती अपराजिता सदैव तत्पर रहतीं हैं। अगर आप नित्य अपराजिता पाठ करतें हैं तो यह कवच आपके लिए वरदान है। अगर आप अदीक्षित हैं व किसी के द्वारा आपको अपराजिता सिद्धविद्या का उपदेश नहीं दिया गया है तथापि आप उनका पाठ करतें हैं तो उससे उत्पन्न ऊर्जा के विक्षोभ से रक्षण व संतुलन इस कवच के धारण करने से एक स्तर तक अवश्य होता है तथा पाठ का लाभ दृष्टि गोचर होने लगता है। धारणकर्त्ता अगर मांस मदिरा का सेवन करता है और जीवन में विकट परिस्थितियां आ जायें तो उसे भगवती काली व काल भैरव के स्थान पर कारण पात्र चढ़ाना चाहिए। इसका कारण इन दिव्य समुह में उग्रतम वीरप्रधान शक्तियों की उपस्थिति है। अगर आप शाकाहारी हैं तो सामान्य पूजन से भी त्वरित रक्षण लाभ होता है।‌
शुद्ध चांदी निर्मित इस कवच पर जन्म व मृत्यु सुतक का कोई दोष नहीं। सूतक उपरांत केवल गाय के दुध व पंचामृत से स्नान कराकर धुप दीप दिखायें तथा पुनः धारण कर लें। अगर धागा में पहनें हैं तो सूतक उपरांत धागा बदल लें।

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Description

यह सुप्रसिद्ध कवच भगवती निकुंबला के स्वतंत्र अंग विद्या स्वरुप का है, भगवती के इस कवच की महत्ता जगत प्रसिद्ध है। इस कवच के धारणकर्ता की रक्षा व विजय हेतु भगवती अपराजिता सदैव तत्पर रहतीं हैं। अगर आप नित्य अपराजिता पाठ करतें हैं तो यह कवच आपके लिए वरदान है। अगर आप अदीक्षित हैं व किसी के द्वारा आपको अपराजिता सिद्धविद्या का उपदेश नहीं दिया गया है तथापि आप उनका पाठ करतें हैं तो उससे उत्पन्न ऊर्जा के विक्षोभ से रक्षण व संतुलन इस कवच के धारण करने से एक स्तर तक अवश्य होता है तथा पाठ का लाभ दृष्टि गोचर होने लगता है। धारणकर्त्ता अगर मांस मदिरा का सेवन करता है और जीवन में विकट परिस्थितियां आ जायें तो उसे भगवती काली व काल भैरव के स्थान पर कारण पात्र चढ़ाना चाहिए। इसका कारण इन दिव्य समुह में उग्रतम वीरप्रधान शक्तियों की उपस्थिति है। अगर आप शाकाहारी हैं तो सामान्य पूजन से भी त्वरित रक्षण लाभ होता है।‌
शुद्ध चांदी निर्मित इस कवच पर जन्म व मृत्यु सुतक का कोई दोष नहीं। सूतक उपरांत केवल गाय के दुध व पंचामृत से स्नान कराकर धुप दीप दिखायें तथा पुनः धारण कर लें। अगर धागा में पहनें हैं तो सूतक उपरांत धागा बदल लें।

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