Grihasth Tantra

महाकुंभ दिव्य संपूर्ण महा अनुष्ठानम्

51,000.00

पौष पूर्णिमा से लेकर महाकुंभ के अंतिम तिथि तक आयोजित समग्र अनुष्ठान जो श्री शाकंभरी महापूजन, श्री महागुरु दत्तात्रेय महामंडल याग, श्री महागणपति संग 56 विनायक सपर्या, श्री वेणी माधव सहित द्वादश माधव अनुष्ठानम्, श्री त्रिवेणी महागंगा नित्यार्चन, श्री नवग्रह मातृका शक्ति पूजनं, श्री बगलामुखी महासपर्या, श्री बगला प्रत्यंगिरा व नीलकंठ अघोरास्त्र सहित महानिशा चौंसठ योगिनी वृहद खप्पर पूजनं, श्री पार्वती गीता पाठ, श्री महाकाल , बटुक व स्वर्णाकर्षण भैरव तंत्रोक्त सपर्या, श्री शतचंडी महायज्ञ अनुष्ठानम्, वृहदात्मक श्री चक्र श्रीश्री यंत्र स्वामिनी समग्र मंडल सहित अति वृहद दिव्य लक्ष अर्चन (कोटी पुण्य दायक त्रिवेणी महाकुंभ) महा अर्चन, श्री महारुद्र अतिरुद्र ( रुद्रकल्पद्रुम अनुसार श्री रुद्राष्टाध्यायी के दसों अध्यायों का पाठ जब षडंगपाठ के अंतर्गत नमक चमक (पंचम व अष्टम अध्याय) का संयोजन कर ग्यारह बार किया जाता है तब उसे एकादशिनी कहतें हैं। एकादशिनी रुद्री की ग्यारह आवृत्ति पाठ को लघुरुद्र कहतें हैं, लघुरुद्र के 11 आवृत्ति अर्थात एकादशिनी की 121 आवृतिपाठ होने पर महारुद्र होता है तथा महारुद्र का 11 आवृत्ति अर्थात एकादशिनी रुद्री का 1331 आवृत्ति पाठ होने पर अतिरुद्र महाअनुष्ठानम् संपन्न होता है) , लक्ष दीपदानं सहित विशेष तिथियों में सामर्थ्यानुसार अन्नक्षेत्र प्रसाद आदि आयोजित किया जाएगा।

संपूर्ण अनुष्ठान उपरांत महाशिवरात्रि 26 फरवरी के महापूजन महाअभिषेक पश्चात अगले 15-30 दिनों में इस संपूर्ण महाकुंभ में संकल्पित साधकों को गले में धारण हेतु अति विशेष श्री बगला चंडी विनायक तंत्रोक्त रुद्राक्ष माला-01, संपूर्ण रजत वेष्टित (गुंथा हुआ) तुलसी माला-01, रजत निर्मित श्री चंडिका महायंत्र 2.5 इंच-01 (जिस पर आप भगवती दुर्गा, ललिताम्बा व बगला का नित्य पूजन अर्चन जपादि समर्पित कर सकते हैं), श्री पंचाक्षरी महायंत्र 2.5 इंच -01, जप हेतु तंत्रोक्त कालाग्नि रुद्राक्ष माला -01, अति विशिष्ट श्री नीलकंठ अघोर योगिनी रक्षा कवच ( श्री शतचंडी,बगला महायज्ञ,श्री ललितांबा कोटी अर्चनं, अतिरुद्र आदि का सम्यक शिव दुर्गा अनुष्ठान युक्त विशेष कवच ) व प्रसाद आपको भेजा जायेगा

 

Description

पौष पूर्णिमा से लेकर महाकुंभ के अंतिम तिथि तक आयोजित समग्र अनुष्ठान जो श्री शाकंभरी महापूजन, श्री महागुरु दत्तात्रेय महामंडल याग, श्री महागणपति संग 56 विनायक सपर्या, श्री वेणी माधव सहित द्वादश माधव अनुष्ठानम्, श्री त्रिवेणी महागंगा नित्यार्चन, श्री नवग्रह मातृका शक्ति पूजनं, श्री बगलामुखी महासपर्या, श्री बगला प्रत्यंगिरा व नीलकंठ अघोरास्त्र सहित महानिशा चौंसठ योगिनी वृहद खप्पर पूजनं, श्री पार्वती गीता पाठ, श्री महाकाल , बटुक व स्वर्णाकर्षण भैरव तंत्रोक्त सपर्या, श्री शतचंडी महायज्ञ अनुष्ठानम्, वृहदात्मक श्री चक्र श्रीश्री यंत्र स्वामिनी समग्र मंडल सहित अति वृहद दिव्य लक्ष अर्चन (कोटी पुण्य दायक त्रिवेणी महाकुंभ) महा अर्चन, श्री महारुद्र अतिरुद्र ( रुद्रकल्पद्रुम अनुसार श्री रुद्राष्टाध्यायी के दसों अध्यायों का पाठ जब षडंगपाठ के अंतर्गत नमक चमक (पंचम व अष्टम अध्याय) का संयोजन कर ग्यारह बार किया जाता है तब उसे एकादशिनी कहतें हैं। एकादशिनी रुद्री की ग्यारह आवृत्ति पाठ को लघुरुद्र कहतें हैं, लघुरुद्र के 11 आवृत्ति अर्थात एकादशिनी की 121 आवृतिपाठ होने पर महारुद्र होता है तथा महारुद्र का 11 आवृत्ति अर्थात एकादशिनी रुद्री का 1331 आवृत्ति पाठ होने पर अतिरुद्र महाअनुष्ठानम् संपन्न होता है) , लक्ष दीपदानं सहित विशेष तिथियों में सामर्थ्यानुसार अन्नक्षेत्र प्रसाद आदि आयोजित किया जाएगा।

संपूर्ण अनुष्ठान उपरांत महाशिवरात्रि 26 फरवरी के महापूजन महाअभिषेक पश्चात अगले 15-30 दिनों में इस संपूर्ण महाकुंभ में संकल्पित साधकों को गले में धारण हेतु अति विशेष श्री बगला चंडी विनायक तंत्रोक्त रुद्राक्ष माला-01, संपूर्ण रजत वेष्टित (गुंथा हुआ) तुलसी माला-01, रजत निर्मित श्री चंडिका महायंत्र 2.5 इंच-01 (जिस पर आप भगवती दुर्गा, ललिताम्बा व बगला का नित्य पूजन अर्चन जपादि समर्पित कर सकते हैं), श्री पंचाक्षरी महायंत्र 2.5 इंच -01, जप हेतु तंत्रोक्त कालाग्नि रुद्राक्ष माला -01, अति विशिष्ट श्री नीलकंठ अघोर योगिनी रक्षा कवच ( श्री शतचंडी,बगला महायज्ञ,श्री ललितांबा कोटी अर्चनं, अतिरुद्र आदि का सम्यक शिव दुर्गा अनुष्ठान युक्त विशेष कवच ) व प्रसाद आपको भेजा जायेगा

 

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