Grihasth Tantra

दशमुखी तंत्रोक्त रुद्राक्ष (चांदी)

11,900.00

दसमुखी रुद्राक्ष साक्षात् नारायण स्वरूप कहा गया है। क्रुर ग्रहों से उत्पन्न कष्ट, कुंडली के मारकेश आदि के प्रभाव इससे शांत हो जातें हैं। भूत प्रेत पिशाच डाकिनी ब्रह्मराक्षस आदि का कोप इससे शांत हो जाता है।जादु टोना तंत्र मंत्र यंत्र कृत्या प्रयोग आदि से धारणकर्त्ता सदैव सुरक्षित रहता है। गृह स्वामी के धारण करने से गृह उत्पन्न दोष शमन होता है तथा गृह स्वामी को स्वास्थ्य लाभ व मानसिक शांती प्राप्त होती है। अत्यंत उग्र अभिचार शमनार्थ इस रुद्राक्ष को नृसिंह कवच से अभिषिक्त करवाकर धारण करना चाहिए। वृहस्पति देव की शुभता इसमें नित्य विराजमान रहती है। दस महाविद्या साधकों को तथा भगवान नारायण से संबंधित अवतारों शक्तियों के भक्तों साधकों व श्री महागुरु भगवान दत्तात्रेय के सेवकों को यह रुद्राक्ष अपने आराध्य की प्रसन्नता हेतु नित्य धारण करना चाहिए।

यह रुद्राक्ष शुद्ध चांदी के दो कैप में शुद्ध चांदी के तार द्वारा वेष्टित अर्थात गुंथ कर बनाई गयी रहेगी ताकी प्राप्त होने पर आप इसे सीधे गले में धारण कर सकें।

Out of stock

Description

दसमुखी रुद्राक्ष साक्षात् नारायण स्वरूप कहा गया है। क्रुर ग्रहों से उत्पन्न कष्ट, कुंडली के मारकेश आदि के प्रभाव इससे शांत हो जातें हैं। भूत प्रेत पिशाच डाकिनी ब्रह्मराक्षस आदि का कोप इससे शांत हो जाता है।जादु टोना तंत्र मंत्र यंत्र कृत्या प्रयोग आदि से धारणकर्त्ता सदैव सुरक्षित रहता है। गृह स्वामी के धारण करने से गृह उत्पन्न दोष शमन होता है तथा गृह स्वामी को स्वास्थ्य लाभ व मानसिक शांती प्राप्त होती है। अत्यंत उग्र अभिचार शमनार्थ इस रुद्राक्ष को नृसिंह कवच से अभिषिक्त करवाकर धारण करना चाहिए। वृहस्पति देव की शुभता इसमें नित्य विराजमान रहती है। दस महाविद्या साधकों को तथा भगवान नारायण से संबंधित अवतारों शक्तियों के भक्तों साधकों व श्री महागुरु भगवान दत्तात्रेय के सेवकों को यह रुद्राक्ष अपने आराध्य की प्रसन्नता हेतु नित्य धारण करना चाहिए।

यह रुद्राक्ष शुद्ध चांदी के दो कैप में शुद्ध चांदी के तार द्वारा वेष्टित अर्थात गुंथ कर बनाई गयी रहेगी ताकी प्राप्त होने पर आप इसे सीधे गले में धारण कर सकें।

भगवान शिव के आंखों के जल से उत्पन्न रुद्राक्ष पृथ्वी पर साक्षात शिव स्वरूप हैं। विभिन्न रूद्राक्ष उनपर उपस्थित मुख तथा उन मुखों में निर्मित सूक्ष्म खंड अनुसार अलग अलग महाशक्तियों का प्रतिनिधित्व करतें हैं।

श्री शिव महापुराण के विद्येश्वर संहिता अध्याय 25/ श्लोक 20 में भगवान शिव रुद्राक्ष माला के महात्म्य के लिये कहे हैं –
यथा च दृश्यते लोके रुद्राक्षः फलदः शुभः ।
न तथा दृश्यतेऽन्या च मालिका परमेश्वरी।।
अर्थात् – हे परमेश्वरी! लोक में मंगलमय रुद्राक्ष जैसा फल देने वाला देखा जाता है, वैसी फलदायिनी दूसरी कोई माला नहीं दिखाई देती।

भगवान शिव मां पार्वती को रुद्राक्ष के विषय में कहते हैं – रुद्राक्षो मम लिंगमंगलमुमे । अर्थात – रुद्राक्ष मेरा मंगलमय लिंग विग्रह है।

रुद्राक्ष धारणं प्रोक्तं महापातकनाशनम्। अर्थात रुद्राक्ष धारण बड़े बड़े पातकों का नाश करने वाला है।

सामान्य रुद्राक्ष और तंत्रोक्त रुद्राक्ष में भिन्नता।
आपको ऐसे कितने ही विडियो मिल जायेंगे जिसमें रुद्राक्ष को पेड़ से तोड़कर सीधे ब्रश से रगड़ कर उसमें से रुद्राक्ष निकाल कर दिखाया जाता है। साथ ही रुद्राक्ष के जीवित पौधे बाजार में मिल जायेंगे जिसे लगाने पर उसमें से वैसे फल निकलते हैं जिनसे रुद्राक्ष निकल सकता है। ध्यान रखें की यह सभी वृक्ष हाइब्रिड हैं जिससे एक प्रकार से प्राकृतिक रुप से कहीं ना कहीं कृत्रिम रुद्राक्ष निकाला जा रहा है और विश्वास करें यह रुद्राक्ष, असली रुद्राक्ष से कई गुणा सुंदर मजबुत और आकर्षक है।
नेपाल के पूराने शैव परंपरा के साधक जो आज भी अपनी आजीविका हेतु पूराने समय से रुद्राक्ष वन में सेवा कर रहें हैं जहां उनका अपना व्यक्तिगत बगीचा है। वैसे पूराने रुद्राक्ष वृक्षों के फल कठोर होते हैं , वे तोड़ने के बाद उनमें से रुद्राक्ष निष्कासन हेतु परंपरागत स्वर्ण मृत्तिका विधि का‌ प्रयोग करतें हैं जिसमें तीन दिन से एक पक्ष तक का समय फल की परिपक्वता के ऊपर निर्भर करता है। उस विधि का लाभ यह है की उसी रुद्राक्ष वन में ये पाशुपत्य संप्रदाय के शैव साधक अपनी साधना भी करतें हैं नित्य रुद्राभिषेक भी। उन्हीं जल दुध से सने मृतिका में स्वर्ण भस्म कण मिलाकर रुद्राक्ष शोधन करतें हैं तथा फिर मूल रुद्राक्ष प्राप्त होता है। इसके पश्चात श्रावण मास तथा अन्य दिव्य पर्वकाल में ये सभी रुद्राक्ष महादेव के पास विराजित कर इनका भी शिव संग रुद्राष्टाध्याई से अभिषेक हो जाता है। श्रावण में सबसे लंबा विधान चलता है। इसके पश्चात इसे लेजर हीट मशीन का प्रयोग कर सुखा दिया जाता है ताकी इनमें नमी ना रहे और लंबे समय तक यह सुरक्षित रहें। तत्पश्चात यह आप तक पहुंचते हैं। हर हर महादेव

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “दशमुखी तंत्रोक्त रुद्राक्ष (चांदी)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *