Description
चैत्र शुक्ल चतुर्दशी की मध्य दिवस सी महानिशा तक के दिव्य काल में दिव्य उग्र शमशान भैरव / महाभैरव अनुष्ठान का आयोजन होगा जिसमें कुलाचार परंपरा से महा भैरव का मधु फल व दिव्य नैवेद्य सहित बलि प्रदान किया जायेगा तथा गंगा जी के तट पर स्थित महाश्मशान में उग्र हवन आदि होगा। बड़े से बड़ा अभिचार आदि का नाश व कष्टों का हरण इस तांत्रिक पुजन के कारण महाभैरव करतें हैं। संपूर्ण विवरण हेतु कालिका पुराण के 53वें अध्याय का अध्ययन कीजिए।
इस अनुष्ठान के पश्चात् कोई भी प्रसाद या अन्य सामग्री आपके घर नहीं जायेगी क्योंकि वस्तुतः यह रक्षा प्रदान हवन वाम पद्धति से महाश्मशान में गुप्तता के साथ होगी।
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