Description
भगवान सदाशिव के नीलकंठ स्वरुप के अघोरास्त्र अस्र मंत्र का यंत्रात्मक स्वरुप को नीलकंठ अघोरास्त्र मूल मंत्र व अघोरास्त्र कवच से अभिमंत्रित कर इस दिव्य कवच का निर्माण प्रयाग के दिव्य कुंभ क्षेत्र में किया जायेगा। अभिचारिक प्रयोगों से सुरक्षा , सर्वत्र विजय , शत्रुनाश , अप्रत्यक्ष षड्यंत्र का नाश, क्षेत्रपाल भैरव के द्वारा सर्वत्र रक्षा, देव आकर्षण आदि इसके विशिष्टतम दिव्य लाभ हैं। धारण करने वाला साधक नित्य पंचाक्षरी मंत्र का 11 माला जब व अघोर शिव अष्टोत्तर शतनाम का पाठ करते हुये शिवलिंग का जल दुध मधु आदि से अभिषेक करे तो नंदिकेश्वर कीर्तिमुख आदि प्रमुख शिव गण साधक पर शीघ्र प्रसन्न हो जातें हैं।
महाकुंभ समापन के उपरांत 26 फरवरी के पश्चात अगले 15-30 दिनों में यह कवच आपको प्राप्त हो जायेगा।
ध्यान दें – कवच यंत्र का संलग्न छायाचित्र केवल प्रदर्शन हेतु है। कवच के चांदी निर्मित खोल का डिजाइन दिखाये गये चित्र से भिन्न हो सकता है।
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