Grihasth Tantra

श्री हरिद्रा गणपति बगला कवच

6,500.00

भगवती बगलामुखी के अंग देवता भगवान हरिद्रा गणपति व भगवती महाविद्या पितांबरा, दोनों महाशक्तियों के सामंजस्य ऊर्जा की उपस्थिति इस कवच में रहेगी। महाकुंभ के अंतर्गत होने वाले महाविद्या बगलामुखी महासपर्या के अंतर्गत त्रिवेणी संगम के पवित्र दिव्य भूमि पर इस कवच का निर्माण व हरिद्रा गणपति कवच पाठ तथा त्रैलोक्य विजय बगला कवच पाठ के द्वारा अभिमंत्रण होगा। शत्रु की बुद्धि विवेक की शक्ति को हरने, मोहित क्षोभित करने में यह शक्तियां अति तीव्र हैं। समग्र कष्ट का सामुहिक उनमुलन कर जीवन के हर विघ्न बाधा को नष्ट कर साधक को सुरक्षा व विजय प्रदान करने वाले इस कवच को धारण करने वाला भगवती बगलामुखी व भगवान हरिद्रा गणपति के कृपा से सर्वत्र रक्षित होता है।
धारणकर्त्ता को नित्य संकटनाशन गणेश स्तोत्र व रुद्रयामलोक्त श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम का 5-5 पाठ करना चाहिए। अभिचार कृत्या की विद्या को ही ये मोहित कर नष्ट कर डालते हैं। इस कवच को धारण करने वाले साधक को तामसिक आहार मदिरा मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। परनारी का स्पर्श नहीं करना चाहिए। अकारण किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए।
महाकुंभ समापन के उपरांत 26 फरवरी के पश्चात अगले 15-30 दिनों में यह कवच आपको प्राप्त हो जायेगा।

ध्यान दें – कवच यंत्र का संलग्न छायाचित्र केवल प्रदर्शन हेतु है। कवच के चांदी निर्मित खोल का डिजाइन दिखाये गये चित्र से भिन्न हो सकता है।

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Description

भगवती बगलामुखी के अंग देवता भगवान हरिद्रा गणपति व भगवती महाविद्या पितांबरा, दोनों महाशक्तियों के सामंजस्य ऊर्जा की उपस्थिति इस कवच में रहेगी। महाकुंभ के अंतर्गत होने वाले महाविद्या बगलामुखी महासपर्या के अंतर्गत त्रिवेणी संगम के पवित्र दिव्य भूमि पर इस कवच का निर्माण व हरिद्रा गणपति कवच पाठ तथा त्रैलोक्य विजय बगला कवच पाठ के द्वारा अभिमंत्रण होगा। शत्रु की बुद्धि विवेक की शक्ति को हरने, मोहित क्षोभित करने में यह शक्तियां अति तीव्र हैं। समग्र कष्ट का सामुहिक उनमुलन कर जीवन के हर विघ्न बाधा को नष्ट कर साधक को सुरक्षा व विजय प्रदान करने वाले इस कवच को धारण करने वाला भगवती बगलामुखी व भगवान हरिद्रा गणपति के कृपा से सर्वत्र रक्षित होता है।
धारणकर्त्ता को नित्य संकटनाशन गणेश स्तोत्र व रुद्रयामलोक्त श्री बगलामुखी अष्टोत्तर शतनाम का 5-5 पाठ करना चाहिए। अभिचार कृत्या की विद्या को ही ये मोहित कर नष्ट कर डालते हैं। इस कवच को धारण करने वाले साधक को तामसिक आहार मदिरा मांस का सेवन नहीं करना चाहिए। परनारी का स्पर्श नहीं करना चाहिए। अकारण किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए।
महाकुंभ समापन के उपरांत 26 फरवरी के पश्चात अगले 15-30 दिनों में यह कवच आपको प्राप्त हो जायेगा।

ध्यान दें – कवच यंत्र का संलग्न छायाचित्र केवल प्रदर्शन हेतु है। कवच के चांदी निर्मित खोल का डिजाइन दिखाये गये चित्र से भिन्न हो सकता है।

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