Description
भगवती कामाख्या के कवच में दसों महाविद्याओं की उपस्थिति है। भगवती काली स्वरूप से रक्षण तो त्रिपूर भैरवी स्वरूप से पोषण करतीं हैं। देवी का यह दिव्य कवच प्रत्येक स्त्री को अवश्य धारण करना चाहिए। सुतक पातक में, मासिक धर्म आदि की स्थिति में भी इस कवच को कभी नहीं शरीर से अलग करना है। धारिता की सदैव प्रत्येक परिस्थिति में रक्षण होती है। धारणकर्त्ता नित्य कामाख्या कवच का पाठ करें तो अनेको कृपा प्राप्त होती है।
शुद्ध चांदी निर्मित इस कवच पर जन्म व मृत्यु सुतक का कोई दोष नहीं। सूतक उपरांत केवल गाय के दुध व पंचामृत से स्नान कराकर धुप दीप दिखायें तथा पुनः धारण कर लें। अगर धागा में पहनें हैं तो सूतक उपरांत धागा बदल लें।
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