Description
भगवती के प्रमुख चार महावीरों में से एक महावीर साक्षात भगवान नृसिंह जी हैं जो भगवती के पार्श्व भाग में स्थित रहतें हैं। इनके मंत्रों द्वारा अभिषिक्त यह मणिबंध में बाधें जाने वाला रक्षा बंध शुद्ध चांदी में निर्मित है। यह बंध विशेषकर जिन्हें सदैव भय लगता है, भूत प्रेत डाकिनी ब्रह्मा राक्षस जैसे नकारात्मक ऊर्जाओं के विचारों से भयप्रद स्थिति में रहतें हैं तथा जिनके कुंडली में शनि राहु का पिशाच योग जैसी स्थिति है, इन सभी परिस्थितियों में यह परम सहायक सिद्ध होगा। इसे धारण करने के पश्चात आप नित्य नृसिंह भगवान का कवच पाठ करें। आपको अद्भुत लाभ प्राप्त होगा। इस रक्षा बंध में कोई सूतक पातक का दोष नहीं। आप सदैव पहन कर रख सकतें हैं। समय समय पर किसी दिव्य पर्व में इसे शुद्ध जल से धोकर, फिर पंचामृत से स्नान करवाकर लाल वस्त्र पर स्थापित करें व धुप दीप दिखाकर नृसिंह कवच का 11 पाठ करें व कपूर की आरती दिखाकर पुनः धारण कर लें।
किसी परिस्थिति में चांदी का तार टुट जाये तो उसे पुनः बनवाकर उपरोक्त विधि करके धारण कर लें।
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